15 अगस्त – भारत का स्वतंत्रता दिवस: इतिहास, महत्व और प्रेरणा

 

15 अगस्त – भारत का स्वतंत्रता दिवस: इतिहास, महत्व और प्रेरणा



परिचय
हर साल 15 अगस्त का दिन भारतीयों के दिल में एक खास जगह रखता है। यह केवल एक तारीख नहीं, बल्कि आज़ादी, संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है। 1947 में इसी दिन भारत ने ब्रिटिश हुकूमत से मुक्ति पाई और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में दुनिया के सामने खड़ा हुआ।


भारत की आज़ादी का सफर

भारत लगभग 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन के अधीन रहा। इस दौरान भारतीयों ने आर्थिक शोषण, सामाजिक अन्याय और राजनीतिक दमन का सामना किया।
आज़ादी की इस यात्रा में कई महत्वपूर्ण आंदोलन हुए:

  • 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम – मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे जैसे वीरों का बलिदान।

  • असहयोग आंदोलन (1920) – महात्मा गांधी के नेतृत्व में अहिंसा और सत्याग्रह का संदेश।

  • सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) – नमक सत्याग्रह के जरिए ब्रिटिश कानूनों को चुनौती।

  • भारत छोड़ो आंदोलन (1942) – "करो या मरो" का नारा और अंतिम संघर्ष।

  • क्रांतिकारी आंदोलन – भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे युवाओं का शौर्य।

  • विदेश में संघर्ष – नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फ़ौज का योगदान।



15 अगस्त 1947 – स्वतंत्रता का ऐतिहासिक क्षण

14 अगस्त की रात 12 बजे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने "Tryst with Destiny" भाषण दिया। 15 अगस्त की सुबह लाल किले पर पहली बार तिरंगा लहराया गया और भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया।


आज के समय में स्वतंत्रता दिवस का महत्व

आजादी सिर्फ राजनीतिक मुक्ति नहीं, बल्कि जिम्मेदारी भी है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना है और देश की प्रगति में योगदान देना है।
15 अगस्त पर देशभर में झंडा फहराने, सांस्कृतिक कार्यक्रम, परेड और देशभक्ति गीतों का आयोजन होता है।


निष्कर्ष

15 अगस्त का दिन हमें अपने वीर शहीदों के बलिदानों की याद दिलाता है और प्रेरित करता है कि हम उनके सपनों का भारत बनाएं। यह केवल एक छुट्टी का दिन नहीं, बल्कि देशभक्ति और एकता का पर्व है।

जय हिंद! 🇮🇳

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